गणित सारांश
मध्यमाधिकार
अहर्गण साधन
मध्यम ग्रह साधन
संवत्सर साधन
भूपरिधि साधन
देशान्तर साधन
इष्टकालिक ग्रह साधन
सूर्य साधन
स्पष्ट सूर्य एवं गति साधन
अयनांश एवं क्रांति साधन
चर साधन
सूर्योदयादि साधन
मानक सूर्योदय साधन
चन्द्र साधन
स्पष्ट चन्द्र एवं गति साधन
शर एवं क्रांति साधन
चर एवं आहोरात्रादि साधन
तिथ्यादि साधन
पञ्चतारा साधन
भौम साधन
बुध साधन
गुरु साधन
शुक्र साधन
शनि साधन
पञ्चतारा त्रिप्रश्न
भौम त्रिप्रश्न
बुध त्रिप्रश्न
गुरु त्रिप्रश्न
शुक्र त्रिप्रश्न
शनि त्रिप्रश्न
त्रिप्रश्नाधिकार
पलाभादि साधन
असकृत मध्यम सूर्य साधन
छायाकार्णादि साधन
दृग्ज्यादि साधन
लंकोदयादि साधन
अहोरात्रादि साधन
दशमलग्नादि साधन
अष्टक्षेत्र
अक्षक्षेत्र
ग्रहण साधन
Marks Slip
Deactivated Students
उदयास्त साधन
Marks Slip
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नतघटी एवं अन्त्यादि साधन
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यदि सायन सूर्य मेषादि 6 राशियों (उत्तरगोल) में हो तो चरज्या को त्रिज्या में जोड़ने से, तुलादि 6 राशियों (दक्षिणगोल) में घटाने से अन्त्या होती है।
गूढार्थप्रकाशिका टीका के अनुसार, यदि नतघटी 15 या नतासु 5400 से अधिक हो तो नतासु में 5400 घटाकर शेष की उत्क्रमज्या को अन्त्या में से घटाये, यदि अन्त्या से अधिक उत्क्रमज्या हो तो अन्त्या में त्रिज्या जोडकर उत्क्रमज्या घटाने से इष्टान्त्या होती है।
छायाकर्ण से नतघटी साधन
गूढार्थप्रकाशिका टीका के अनुसार, यदि त्रिज्या से अधिक उत्क्रमज्या हो तो उत्क्रमज्या में त्रिज्या घटाकर शेष के चाप को 5400 में जोड़ने पर उत्क्रमज्या होती है।
यदि वेध रात्रि में दिनमान के बाद और (दिनार्ध + 45 घटी) के पहले हो तो नतघटी मे 15 घटी जोडना चाहिए, अन्यथा नहीं।
यदि वेध दिनार्ध से पूर्व हो तो दिनार्ध में नतघटी घटायें, यदि दिनार्ध के बाद हो तो दिनार्ध में नतघटी जोड़ें, यदि दिनमान के बाद हो तो दिनार्ध में नतघटी घटाकर दिनमान जोड़ें, यदि मध्यरात्रि (मिश्रमान) के बाद हो तो दिनार्ध में नतघटी घटाकर मिश्रमान जोड़ेंने से इष्टकाल होता है।
इष्टाग्रा से छायार्क साधन
यदि भुज, ऋतु चिन्ह मेषादि में हो तो भुज ही स्पष्ट सायन सूर्य होता है, यदि कर्कादि में हो तो 180 अंश में घटाने से, तुलादि में हो तो 180 अंश में जोड़ने से, मकरादि में हो तो 360 अंश में घटाने से मध्याह्नकालिक स्पष्ट सायन मन्दस्पष्ट मन्दस्पष्ट सूर्य होता है।
पलभा यन्त्र और नाडी वलय यन्त्र के द्वारा ऋतु चिन्हित करके सूर्य भुज का संस्कार करने से सायन सूर्य होता है।
भाभ्रम रेखा साधन
अक्षांश और क्रान्ति दोनों की एक दिशा (चिन्ह) में अन्तर तथा भिन्न दिशा में योग करने पर नतांश होता है।
ज्योतिषीय मान
गणितीय मान
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